
राजेंद्र द्वितीय की मृत्यु के बाद उसका अनुज वीरराजेंद्र 1063 ई. के लगभग चोल राजपीठ पर आसीन हुआ। यद्यपि राजेंद्र द्वितीय ने अपने जीवनकाल में …
राजेंद्र द्वितीय की मृत्यु के बाद उसका अनुज वीरराजेंद्र 1063 ई. के लगभग चोल राजपीठ पर आसीन हुआ। यद्यपि राजेंद्र द्वितीय ने अपने जीवनकाल में …
राजाधिराज प्रथम राजेंद्रचोल प्रथम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र राजाधिराज राजकेशरी 1044 ई. में चोल राजगद्दी पर बैठा। किंतु राजाधिराज को 1018 ई. में …
राजराज की मृत्यु के बाद उसकी कोडुंबलुर की राजकुमारी थिरिपुवना (त्रिभुवन) महादेवी से उत्पन्न पुत्र राजेंद्र प्रथम 1014 ई. में औपचारिक रूप से चोल सिंहासन …
चोल राजवंश की महत्ता का वास्तविक संस्थापक परांतक द्वितीय (सुंदर चोल) की वानवन महादेवी से उत्पन्न पुत्र राजकेशरी अरुमोलिवर्मन (अरुलमोझिवर्मन) था, जो 985 ई. के …
आदित्य प्रथम की मृत्यु के अनंतर 907 ई. में इसका पुत्र परांतक प्रथम चोल राजसिंहासन का उत्तराधिकारी हुआ, जिसने 955 ई. तक शासन किया। दक्षिण …
सुदूर दक्षिण भारत के तमिल प्रदेश में प्राचीनकाल में जिन राजवंशों का उत्कर्ष हुआ, उनमें चोलों का विशिष्ट स्थान है। इनका प्राचीन राज्य चोल देश …
आंध्र-सातवाहनों के पतन के बाद दक्षिण में उदित होने वाले राजवंशों में पल्लवों का विशिष्ट स्थान है, जिन्होंने कृष्णा और गोदावरी नदियों के बीच के …
अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम, जिसे ‘अमेरिकी क्रांति’ भी कहा जाता है, यूरोपीय उपनिवेशवाद के इतिहास की एक क्रांतिकारी घटना है। यह स्वतंत्रता संग्राम ग्रेट ब्रिटेन …