नई शिक्षा नीति-2020 के अनुसार दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर की बी.ए., बी.एस-सी. एवं बी.काम. की सेमेस्टर परीक्षाओं में ‘ नाथ पंथ और भारतीय संत साहित्य’ पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1.. गोरखनाथ की रचनाओं का संकलन ‘गोरखबानी’ नाम से किया है-
(अ) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने
(ब) राहुल सांकृत्यायन ने
(स) पीतांबरदत्त बड़थ्वाल ने
(द) डॉ. नगेंद्र ने
2. गोरखनाथ की रचनाओं में वर्णन है-
(अ) गुरु महिमा
(ब) वैराग्य
(स) कुंडलिनी जागरण एवं शून्य समाधि का वर्णन
(द) उपर्युक्त सभी
3. हठयोग में ‘ह’ को कहा गया है-
(अ) चंद्र
(ब) सूर्य
(स) आकाश
(द) उपर्युक्त सभी
4. ‘अकुल’ कहा जाता है-
(अ) विष्णु को
(ब) ब्रह्मा को
(स) शिव को
(द) उपरोक्त सभी
5. गोरखनाथ द्वारा रचित ग्रंथ नहीं है-
(अ) अमरौघशाधनम्
(ब) सिद्ध-सिद्धांत पद्धति
(स) गोरख दर्शन
(द) अमनस्क
6. सूर्य-चंद्र को नायक और नायिका के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया है-
(अ) संत कवियों ने
(ब) सूफी कवियों ने
(स) कृष्ण भक्त कवियों ने
(द) रामभक्त कवियों ने
7. ‘चित्रावली’ में साधक के मार्ग में पड़ने वाले नगर हैं-
(अ) भोगपुर
(ब) गोरखपुर
(स) रूपनगर
(द) उपर्युक्त सभी
8. ‘सहजयान’ के प्रवर्तक हैं-
(अ) लुइपा
(ब) कण्हपा
(स) सरहपा
(द) सबरपा
9. ‘गोरखनाथ एंड दि कनफटा योगिज’ पुस्तक के लेखक हैं-
(अ) रांगेय राघव
(ब) गोविंद रजनीश
(स) ब्रिग्स
(द) महंत अवेद्यनाथ
10 ‘जोई-जोई पिंडे सोई ब्रह्मांडे’ अर्थात् ‘जो शरीर में है, वही ब्रह्मांड में हैं’ यह विचार है-
(अ) गोरखनाथ का
(ब) जलंधर का
(स) मत्स्येंद्रनाथ या मछंदरनाथ का
(द) इनमें से कोई नहीं
11. गोरखनाथ के गुरु थे-
(अ) जालंधरनाथ
(ब) मत्स्येंद्रनाथ या मछंदरनाथ
(स) चौरंगीनाथ
(द) कपिलमुनि
12. अंजन मांहि निरंजन भेढ्या, तिल मुख्य भेट्या तेलं।
मूरत माहि अमूरत परस्या, भया निरंतरि खेलं।।
ये पंक्तियाँ हैं-
(अ) गोरखनाथ की
(ब) चटपटी नाथ की
(स) जालंधरनाथ की
(द) मत्स्येंद्रनाथ की
13. ‘गोरखनाथ अपने युग के सबसे बड़े नेता थे’ यह कथन है-
(अ) पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल का
(ब) हजारीप्रसाद द्विवेदी का
(स) राहुल सांकृत्यायन का
(द) रामकुमार वर्मा का
14. ‘ब्रह्मरंध्र’ के लिए गोरखनाथ का रूपक है-
(अ) मोती
(ब) कौआ
(स) शिवपुरी
(द) उपर्युक्त सभी
15. ‘कापालिक साधना से संबंधित हैं-
(अ) मत्स्येंद्रनाथ
(ब) जालंधरनाथ
(स) कपिलमुनि
(द) संतोषनाथ
16. बौद्धमत की महायान शाखा के साधना पक्ष में किस प्रमुख तत्व के प्रवेश से ‘वज्रयान’ का उदय हुआ?
(अ) हठयोग से
(ब) मूर्तिपूजा से
(स) मैथुन से
(द) तांत्रिक साधना
17. सिद्ध साधना में ‘डोमिनी’ या ‘भैरवी’ का अर्थ है-
(अ) चर्यापद का विशेष गीत
(ब) तांत्रिक साधना
(स) वामाचार में सहयोगी प्रायः नीच जाति की स्त्री
(द) हठयोग की एक मुद्रा
18. सिद्धों और नाथों में मतभेद का विषय था-
(अ) साधना में नारी का भोग
(ब) हठयोग साधना
(स) जाति-पात का खंडन
(द) कर्मकांड का विरोध
19. ‘नवनाथ’ में नहीं हैं-
(अ) गोरखनाथ
(ब) जालंधरनाथ
(स) चर्पटनाथ
(द) सरहपा
20. संपूर्ण नाथ साहित्य में प्रमुख रूप से किन बातों पर जोर दिया गया है-
(अ) गुरु महिमा का
(ब) योगमार्ग का
(स) पिंड ब्रह्मांडवाद का
(द) उपर्युक्त सभी का
21. हबकि न बोलिबा ठबकि न चलिबा धीरै धरिबा पावं।
गरब न करिबा सहज रहिबा भणत गोरष रावं।।
यह छंद है-
(अ) मत्स्येंद्रनाथ की
(ब) जालंधरनाथ
(स) चर्पटनाथ
(द) गोरखनाथ
22. नाथ संप्रदाय में ‘बालनाथ’ नाम से जाना जाता है-
(अ) गोरखनाथ
(ब) जालंधरनाथ
(स) चर्पटनाथ
(द) नागार्जुन
23. नाथों में ‘रसायनी’ माना जाता है-
(अ) चौरंगीनाथ को
(ब) गाहिणीनाथ को
(स) ज्वालेंद्रनाथ को
(द) नागार्जुन को
24. ’कौलमार्ग’ के प्रवर्तक हैं-
(अ) जालंधरनाथ
(ब) मत्स्येंद्रनाथ
(स) आदिनाथ
(द) नागार्जुन
25. संतो की साधना के अंतर्गत आता है-
(अ) ज्ञानयोग
(ब) भक्तियोग
(स) कर्मयोग
(द) उपर्युक्त सभी
26. संत मत ने रेखांकित किया-
(अ) शास्त्रीय ज्ञान का महत्त्व है
(ब) भक्ति के क्षेत्र में जाति-पाति भेद है
(स) ईश्वर को मिलाने वाला गुरु है
(द) भक्त जन्म-मरण से मुक्त है
27. सूफी कवियों को कहा जाता है-
(अ) पुष्टिमार्गी
(ब) वैष्णव मार्गी
(स) प्रेममार्गी
(द) इस्लाम मार्गी
28. निर्गुण-साधक भक्त कवियों में कालक्रमानुसार प्रथमोल्लेख्य है-
(अ) ज्ञानदेव
(ब) नामदेव
(स) कबीर
(द) रैदास
29. संतकाव्य का प्रधान रस है-
(अ) शांत
(ब) करूण
(स) वात्सल्य
(द) श्रृंगार
30. सूफी प्रेमाख्यानक काव्यों का प्रतिपाद्य है-
(अ) तांत्रिक मत का प्रचार
(ब) संसार की निस्सारता
(स) वैराग्य का प्रतिपादन
(द) प्रेमकथा के माध्यम से ब्रह्म-जीवन मिलन
31. हिंदी संत काव्य में ‘हंस’ का प्रतीकार्थ है-
(अ) नीरक्षीर विवेकी पक्षी
(ब) सूर्य
(स) आत्मा
(द) अवधूत
32. युगनद्ध या युगलभाव का खुला वर्णन हुआ है-
(अ) चंदायन में
(ब) मृगावती में
(स) पद्मावत में
(द) उपर्युक्त सभी में
33. चौरासी सिद्धों में प्रथम सिद्ध हैं-
(अ) लुइपा
(ब) शबरपा
(स) कण्हपा
(द) सरहपा
34. ‘वारकरी’ संप्रदाय के प्रवर्तक हैं-
(अ) कबीर
(ब) ज्ञानेश्वर
(स) नामदेव
(द) एकनाथ
35. ‘हसिबा खेलिबा रहिबा रंग। काम क्रोध न करिबा संग’ पंक्ति है–
(अ) चर्पटनाथ की
(ब) स्वयंभू की
(स) गोरखनाथ की
(द) जालंधरनाथ की
36. नाथ साहित्य पर पूर्ववर्ती परंपरा का प्रभाव पड़ा-
(अ) बौद्ध धर्म का
(ब) वैष्णव धर्म का
(स) शैव धर्म का
(द) उपर्युक्त सभी का
37. हठयोग की साधना में कुंडलिनी कितने चक्रों का भेदनकर सहस्त्रार में पहुँचती है-
(अ) छः
(ब) सात
(स) नौ
(द) पाँच
38. सिद्धों की संख्या है-
(अ) 38
(ब) 47
(स) 84
(द) 64
39. ‘धन जीवन की करै न आस, चित्त न राखै कामनि पास’ पंक्ति है-
(अ) कबीर की
(ब) गोरखनाथ की
(स) जायसी की
(द) इनसे से कोई नहीं
40. नीचे दिये गये सही कथन को चुनिए-
(अ) इंगला-चंद्र
(ब) पिंगला-सूर्य
(स) सुषुम्ना-अग्नि
(द) उपर्युक्त सभी
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