जटावर्मन् सुंदरपांड्य प्रथम (Jatavarman Sundara Pandyan I, 1251-1268)
जटावर्मन् सुंदरपांड्य प्रथम (1251-1268) मारवर्मन् सुंदरपांड्य के बाद पांड्य राजगद्दी पर जटावर्मन् सुंदरपांड्य प्रथम (1251-1270 ई.) आसीन हुआ। उसके समय में पांड्य शक्ति…
जटावर्मन् सुंदरपांड्य प्रथम (1251-1268) मारवर्मन् सुंदरपांड्य के बाद पांड्य राजगद्दी पर जटावर्मन् सुंदरपांड्य प्रथम (1251-1270 ई.) आसीन हुआ। उसके समय में पांड्य शक्ति…
चोल राजवंश (850-1279) सुदूर दक्षिण भारत के तमिल प्रदेश में प्राचीनकाल में जिन राजवंशों का उत्कर्ष हुआ, उनमें चोलों का विशिष्ट स्थान है।…
राजेंद्रचोल तृतीय (1252-1279 ई.) राजराज तृतीय के उपरांत 1252 ई. में राजेंद्र तृतीय चोल राजसिंहासन पर बैठा। संभवतः राजराज तृतीय ने 1246 ई….
राजराज चोल तृतीय (1218-1256 ई.) कुलोत्तुंग तृतीय की मृत्यु के पश्चात् राजराज चोल तृतीय 1218 ई. में चोल राजगद्दी पर बैठा, जो संभवतः…
कुलोत्तुंग चोल तृतीय (1178-1218 ई.) कुलोत्तुंग तृतीय ‘परकेशरिवर्मन’ चोल राजवंश का अंतिम महान शासक था, जिसने 1178 से 1218 ई. तक शासन किया।…
राजराज द्वितीय (1150-1173 ई.) कुलोत्तुंग द्वितीय के पश्चात् उसका पुत्र राजराज द्वितीय 1150 ई. में चोल राजवंश की गद्दी पर बैठा। कुलोत्तुंग द्वितीय…
कुलोत्तुंग चोल द्वितीय (1135-1152) कुलोत्तुंग द्वितीय, कुलोत्तुंग (प्रथम) का पौत्र और विक्रमचोल का पुत्र था, जिसे 1133 ई. में ही युवराज बनाया गया…
राजेंद्रचोल द्वितीय (1052-1064 ई.) राजेंद्रचोल द्वितीय (1052-1064 ई.) अपने भाई राजाधिराज (1044-1054 ई.) की कोप्पम् के युद्ध में मृत्यु के बाद चोल राजगद्दी…
विक्रमचोल (1122-1135 ई.) कुलोत्तुंग प्रथम की मृत्यु के बाद 1122 ई. में विक्रमचोल चोल राजसिंहासन पर बैठा, जिसे पुलिवेंदन कोलियार कुलपति उर्फ राजय्यार…