राष्ट्रकूट शासक गोविंद तृतीय (Rashtrakuta Ruler Govind III, 793-814 AD)
ध्रुव प्रथम के कई पुत्र थे, जिनमें स्तंभ रणावलोक, कर्कसुवर्णवर्ष, गोविंद तृतीय तथा इंद्र के नाम स्पष्टतः मिलते हैं। उसके चारों पुत्र योग्य…
ध्रुव प्रथम के कई पुत्र थे, जिनमें स्तंभ रणावलोक, कर्कसुवर्णवर्ष, गोविंद तृतीय तथा इंद्र के नाम स्पष्टतः मिलते हैं। उसके चारों पुत्र योग्य…
अपने अग्रज गोविंद द्वितीय को अपदस्थ कर ध्रुव ने राष्ट्रकूट राजवंश की बागडोर सँभाली। ध्रुव के राज्यारोहण की तिथि का स्पष्ट ज्ञान नहीं…
चित्तलदुर्ग से प्राप्त एक लेख के अनुसार दंतिदुर्ग के कोई पुत्र नही था और उसकी मृत्यु के पश्चात् उसका चाचा कृष्ण प्रथम 756…
राष्ट्रकूट राजवंश का राजनीतिक इतिहास इंद्र द्वितीय के बाद उसकी चालुक्यवंशीय पत्नी भवनागा से उत्पन पुत्र दंतिदुर्ग (735-756 ई.) राजा हुआ, जिसे राष्ट्रकूट…
हर्षोत्तरकाल में गुर्जरात्रा प्रदेश में प्रतिहार राजवंश का उदय हुआ, जो गुर्जरों की एक राजपूत शाखा से संबंधित होने के कारण गुर्जर-प्रतिहार के…
प्रतिहार साम्राज्य के पतन के पश्चात् बुंदेलखंड के भूभाग पर चंदेल वंश के स्वतंत्र राज्य की स्थापना हुई। अभिलेखों में चंदेल शासकों को…
परमार वंश ने 9वीं से 14वीं शताब्दी के बीच पश्चिम-मध्य भारत में मालवा, उज्जैन, आबू पर्वत और सिंधु के आसपास के क्षेत्रों पर…
हर्ष की मृत्यु के उपरांत प्रतिहारों ने संपूर्ण उत्तर भारत में एकछत्र साम्राज्य स्थापित किया। किंतु विजयपाल (960 ई.) के समय तक आते-आते…
वेंगी का प्राचीन चालुक्य राज्य मुख्यतः कृष्णा एवं गोदावरी नदियों के बीच के क्षेत्र में विस्तृत था। इसकी राजधानी वेंगी (वेंगिपुर) में थी…