जैन दर्शन में बंधन और मोक्ष (Bondage and Moksha in Jain Philosophy)
प्रायः सभी भारतीय दर्शनों में बंधन का अर्थ निरंतर जन्म ग्रहण करना तथा सांसारिक दुःखों …
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प्रायः सभी भारतीय दर्शनों में बंधन का अर्थ निरंतर जन्म ग्रहण करना तथा सांसारिक दुःखों …
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जैन चतुर्विध-संघ अनुशासित समूह को ‘संघ’ कहते है। संघ के कुछ नियमोपनियम तथा मर्यादाएँ निर्धारित …
जैन धर्म और तीर्थंकर जैन धर्म भारत की श्रमण परंपरा से निकला धर्म और दर्शन …
जैन तीर्थंकरों का ऐतिहासिक अस्तित्व (Historical Existence of Jain Tirthankaras) Read More »
जैन न्याय शास्त्र का विकास धर्म, दर्शन और न्याय-इन तीनों के सुमेल से ही व्यक्ति …
जैन न्याय शास्त्र का विकास (Development of Jain Jurisprudence) Read More »
सुदूर दक्षिण भारत में तमिल प्रदेश के प्रारंभिक राजवंशों में चेरों और चोलों के बाद …
पांड्य राजवंश या मदुरा के पांड्य (Pandya dynasty or Pandyas of Madura) Read More »
मारवर्मन् कुलशेखर पांड्य प्रथम (1268-1308 ई.) पांड्य राज्य एक शक्तिशाली शासक था, जो जटावर्मन् सुंदरपांड्य …
मारवर्मन् कुलशेखर पांड्य प्रथम (Maravarman Kulasekara Pandyan I, 1270-1308 AD) Read More »
मारवर्मन् सुंदरपांड्य के बाद पांड्य राजगद्दी पर जटावर्मन् सुंदरपांड्य प्रथम (1251-1270 ई.) आसीन हुआ। इसके …
जटावर्मन् सुंदरपांड्य प्रथम (Jatavarman Sundara Pandyan I, 1251-1268 AD) Read More »
चोल राजवंश का राजनीतिक इतिहास सुदूर दक्षिण भारत के तमिल प्रदेश में प्राचीनकाल में जिन …
चोल राजवंश का राजनीतिक इतिहास (Political History of Chola Dynasty, 850-1279 AD) Read More »
राजराज चोल तृतीय के शासनकाल के उपरांत 1246 ई. में राजेंद्र तृतीय चोल राजसिंहासन पर …
राजेंद्र चोल तृतीय (Rajendra Chola III, 1246-1279 AD) Read More »