
गुप्तों का आदि-स्थान गुप्तों की जाति की तरह उनके आदि-स्थान के विषय में भी इतिहासकारों में पर्याप्त मतभेद है। स्पष्ट प्रमाणों के अभाव में गुप्तों …
गुप्तों का आदि-स्थान गुप्तों की जाति की तरह उनके आदि-स्थान के विषय में भी इतिहासकारों में पर्याप्त मतभेद है। स्पष्ट प्रमाणों के अभाव में गुप्तों …
गुप्तों की उत्पत्ति-विषयक समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो सका है। पुरातात्त्विक स्रोतों से पता चलता है कि सम्राट गुप्तवंश के पूर्व भी कई …
गुप्त राजवंश भारतीय इतिहास के पृष्ठों में सर्वांगीण अभ्युत्थान हेतु गौरवान्वित स्थान का भागी रहा है। इस राजवंश के नरेशों ने अपने अदम्य उत्साह, संगठन-प्रतिभा, …
उत्तरी भारत में कुषाणों के पतन और गुप्तों के उदय के पूर्व के काल को स्मिथ जैसे इतिहासकारों ने ‘अंधकार युग’ कहा था। इसका कारण …
तीसरी शताब्दी ई. में दक्षिण के सातवाहनों की शक्ति नष्ट होने पर वहाँ कई छोटे-छोटे राज्य स्थापित हो गये। लगता है कि तीसरी शती के …
मौर्योत्तरकालीन सामाज मौयोत्तर काल के शुंग और संभवतः सातवाहन वंश के शासक ब्राह्मण थे। अतः इस काल में भी चार वर्णों पर आधारित सामाजिक व्यवस्था …
मौर्योत्तरकालीन राज्य-व्यवस्था मौर्य साम्राज्य के अंत के साथ ही भारतीय इतिहास की राजनीतिक एकता कुछ समय के लिए खंडित हो गई। देश के उत्तर-पश्चिमी मार्गों …
मौर्यकालीन सामाजिक जीवन पूर्ववर्ती धर्मशास्त्रों की भाँति कौटिल्य ने भी वर्णाश्रम व्यवस्था को सामाजिक संगठन का आधार माना है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में समाज के …
मौर्यकालीन अर्थव्यवस्था, समाज, धर्म और कला-संबंधी जानकारी के लिए कौटिल्य का अर्थशास्त्र, मेगस्थनीजकृत इंडिका के अवशिष्ट अंश तथा अशोक के अभिलेख महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं, जो …