भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में पूँजीपति वर्ग की भूमिका (Role of Capitalist Class in Indian National Movement)
औपनिवेशिक शासन के दौरान 19वीं सदी के मध्य में भारतीय पूँजीपति वर्ग का विकास हुआ, […]
औपनिवेशिक शासन के दौरान 19वीं सदी के मध्य में भारतीय पूँजीपति वर्ग का विकास हुआ, […]
सविनय अवज्ञा आंदोलन की समाप्ति (1934) के बाद कांग्रेस के अंदर गंभीर मतभेद पैदा हो
सामाजिक सुधार उन्नीसवीं सदी के सांस्कृतिक जागरण का प्रमुख प्रभाव सामाजिक सुधार के क्षेत्र में
मुस्लिम सुधार आंदोलन उन्नीसवीं शताब्दी में न केवल हिंदू समाज में जागरण लाने के लिए
दयानंद सरस्वती (1824-1883) आधुनिक भारत के चिंतक और आर्य समाज’ के संस्थापक थे। उन्होंने वेदों
दयानंद सरस्वती और आर्य समाज (Dayanand Saraswati and Arya Samaj) Read More »
पश्चिमी भारत में सुधार आंदोलन पश्चिमी भारत में सुधारों की शुरूआत उन्नीसवीं सदी के आरंभिक
अठारहवीं शताब्दी में यूरोप में एक नवीन बौद्धिक लहर चली, जिसके फलस्वरूप जागृति के एक
19वीं सदी में बंगाल में सुधार आंदोलन ( Reform Movement in Bengal in the 19th Century) Read More »
सांप्रदायिक निर्णय गोलमेज सम्मेलन में मुस्लिमों एवं सिखों के साथ अनुसूचित जाति के महत्त्वपूर्ण राजनीतिज्ञ
गांधीजी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर चलाया गया दूसरा महत्त्वपूर्ण आंदोलन नागरिक (सविनय) अवज्ञा आंदोलन
सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) Read More »