नाथ पंथ और भारतीय संत साहित्य पर आधारित क्विज (Quiz on Nath Cult and Indian Saint literature)

ज्ञानदेव या ध्यानेश्वर (Dnyaneshwar) को वारकरी संप्रदाय का संस्थापक माना जाता है जिन्होंने ज्ञानेश्वरी (Dnyaneshwari) […]

नाथ पंथ और भारतीय संत साहित्य पर आधारित क्विज (Quiz on Nath Cult and Indian Saint literature)
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Welcome to your नाथ पंथ और भारतीय संत साहित्य पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न-2023 (MCQs on Nath Cult and Indian Saint literature)

1. गोरखनाथ की रचनाओं का संकलन ‘गोरखबानी’ नाम से किया है-

2. गोरखनाथ की रचनाओं में वर्णन है-

3. हठयोग में ‘ह’ को कहा गया है-

4. ‘अकुल’ कहा जाता है-

5. गोरखनाथ द्वारा रचित ग्रंथ नहीं है-

6. सूर्य-चंद्र को नायक और नायिका के प्रतीक के रूप में प्रयोग किया है-

7. ‘चित्रावली’ में साधक के मार्ग में पड़ने वाले नगर हैं-

8. ‘सहजयान’ के प्रवर्तक हैं-

9. ‘गोरखनाथ एंड दि कनफटा योगिज’ पुस्तक के लेखक हैं-

10. ‘जोई-जोई पिंडे सोई ब्रह्मांडे’ अर्थात् ‘जो शरीर में है, वही ब्रह्मांड में हैं’ यह विचार है-

11. गोरखनाथ के गुरु थे-

12. अंजन मांहि निरंजन भेढ्या, तिल मुख्य भेट्या तेलं। मूरत माहि अमूरत परस्या, भया निरंतरि खेलं।।

ये पंक्तियाँ हैं-

13. ‘गोरखनाथ अपने युग के सबसे बड़े नेता थे।’

यह कथन है-

14. ‘ब्रह्मरंध्र’ के लिए गोरखनाथ का रूपक है-

15. ‘कापालिक साधना से संबंधित हैं-

16. बौद्धमत की महायान शाखा के साधना पक्ष में किस प्रमुख तत्व के प्रवेश से ‘वज्रयान’ का उदय हुआ?

17. सिद्ध साधना में ‘डोमिनी’ या ‘भैरवी’ का अर्थ है-

18. सिद्धों और नाथों में मतभेद का विषय था-

19. ‘नवनाथ’ में नहीं हैं-

20. संपूर्ण नाथ साहित्य में प्रमुख रूप से किन बातों पर जोर दिया गया है-

21. हबकि न बोलिबा ठबकि न चलिबा धीरै धरिबा पावं। गरब न करिबा सहज रहिबा भणत गोरष रावं।।

यह छंद है-

22. नाथ संप्रदाय में ‘बालनाथ’ नाम से जाना जाता है-

23. नाथों में ‘रसायनी’ माना जाता है-

24. ’कौलमार्ग’ के प्रवर्तक हैं-

25. संतो की साधना के अंतर्गत आता है-

26. संत मत ने रेखांकित किया-

27. सूफी कवियों को कहा जाता है-

28. निर्गुण-साधक भक्त कवियों में कालक्रमानुसार प्रथमोल्लेख्य है-

29. संतकाव्य का प्रधान रस है-

30. सूफी प्रेमाख्यानक काव्यों का प्रतिपाद्य है-

31. हिंदी संत काव्य में ‘हंस’ का प्रतीकार्थ है-

32. 'युगनद्ध' या 'युगलभाव' का खुला वर्णन हुआ है-

33. चौरासी सिद्धों में प्रथम सिद्ध हैं-

34. ‘वारकरी’ संप्रदाय के प्रवर्तक हैं-

35. ‘हसिबा खेलिबा रहिबा रंग। काम क्रोध न करिबा संग’ पंक्ति है-

36. नाथ साहित्य पर पूर्ववर्ती परंपरा का प्रभाव पड़ा-

37. हठयोग की साधना में कुंडलिनी कितने चक्रों का भेदन कर सहस्त्रार में पहुँचती है-

38. सिद्धों की संख्या है-

39. ‘धन जीवन की करै न आस, चित्त न राखै कामनि पास’ पंक्ति है-

40. नीचे दिये गये सही कथन को चुनिए-

ज्ञानदेव या ध्यानेश्वर (Dnyaneshwar) को वारकरी संप्रदाय का संस्थापक माना जाता है जिन्होंने ज्ञानेश्वरी (Dnyaneshwari) लिखा था जो भागवत गीता का सरलीकृत संस्करण है।

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