बेबिलोनिया की सभ्यता, जो मेसोपोटामिया की उपजाऊ दजला और फरात नदियों की घाटी में विकसित हुई, अपनी राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था के लिए प्राचीन विष्व में विशिष्ट थी। यह सभ्यता अपनी पूर्ववर्ती सुमेरियन संस्कृति से राजनीतिक और प्रशासनिक तत्वों की दृष्टि से श्रेष्ठ थी, विशेष रूप से एमोराइट शासकों, जैसे हम्मुराबी के शासनकाल में। बेबिलोनियनों ने एक केंद्रीकृत साम्राज्य की स्थापना की, जो न केवल सैन्य शक्ति पर आधारित था, बल्कि एक सुव्यवस्थित नौकरशाही और कानूनी ढाँचे पर भी टिका था। इसकी राजनीतिक प्रणाली में शासक को दैवीय दर्जा प्राप्त था और प्रशासनिक संगठन में गवर्नरों, अधिकारियों और दूतों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। हम्मुराबी की विधि-संहिता और क्यूनिफॉर्म शिलालेख जैसे ऐतिहासिक स्रोतों से बेबिलोनिया के राजनीतिक संगठन की जटिलता और परिष्कृत प्रकृति का ज्ञान प्राप्त होता है। यह प्रणाली साम्राज्य की एकता, स्थिरता, और समृद्धि को बनाए रखने में सहायक थी।
ऐतिहासिक स्रोत और राजनीतिक ढाँचा
बेबिलोनिया के राजनीतिक संगठन को समझने के लिए प्रमुख ऐतिहासिक स्रोतों में क्यूनिफॉर्म शिलालेख, हम्मुराबी की विधि-संहिता और पुरातात्त्विक खोजें शामिल हैं। हम्मुराबी की विधि-संहिता, जो 1750 ईसा पूर्व के आसपास डायोराइट पाषाण-स्तंभ पर उत्कीर्ण की गई थी, न केवल कानूनी नियमों का संग्रह है, बल्कि यह बेबिलोनियन प्रशासन और शासन प्रणाली की जानकारी भी प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, मारी, निप्पुर और उर जैसे शहरों से प्राप्त क्यूनिफॉर्म मिट्टी की गोलियां (टैबलेट्स), शासकों, अधिकारियों और गवर्नरों के बीच पत्राचार, प्रशासनिक आदेश और कर-संबंधी दस्तावेज भी महत्त्वपूर्ण हैं, जिनसे बेबिलोनिया के केंद्रीकृत शासन, नौकरशाही और क्षेत्रीय प्रशासन की संरचना को समझने में सहायता मिलती है। जर्मन पुरातत्वविद् रॉबर्ट कोल्डेवे द्वारा 1899-1917 में बेबीलोन में किए गए पुरातात्विक उत्खननों ने भी प्रशासनिक भवनों और मंदिरों के अवशेषों के माध्यम से राजनीतिक संगठन की जानकारी प्रदान की है।
शासक की दैवीय उत्पत्ति
बेबिलोनियन राजनीतिक संगठन में शासक को दैवीय माना जाता था, जो साम्राज्य की धार्मिक और राजनीतिक व्यवस्था का केंद्र था। हम्मुराबी की विधि-संहिता की प्रस्तावना में स्वयं हम्मुराबी को देवता मर्दुक और सूर्य देवता शमश द्वारा चुना हुआ शासक बताया गया है, जिसे न्याय और व्यवस्था स्थापित करने का दैवीय आदेश प्राप्त था। यह दैवीय उत्पत्ति शासक को न केवल राजनीतिक शक्ति प्रदान करती थी, बल्कि उसे धार्मिक और नैतिक प्राधिकार भी देती थी। शासक को साम्राज्य का सर्वाेच्च प्रशासक, न्यायाधीश, और सैन्य नेता माना जाता था। राजपद सामान्यतः वंशानुगत था, जिसे हम्मुराबी के उत्तराधिकारियों, जैसे समसु-इलुना और अम्मी-सदुका के शासनकाल में देखा जा सकता है। शासक का यह दैवीय दर्जा बेबिलोनियन समाज में सामाजिक और राजनीतिक एकता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण था, क्योंकि यह शासक को प्रजा के बीच एक पवित्र और सर्वोच्च व्यक्तित्व के रूप में स्थापित करता था।
केंद्रीकृत साम्राज्य और हम्मुराबी की भूमिका
बेबीलोन में विजेता के रूप में आए एमोराइट्स ने, विशेष रूप से हम्मुराबी (1792-1750 ईसा पूर्व) के नेतृत्व में एक शक्तिशाली और केंद्रीकृत साम्राज्य की स्थापना की। हम्मुराबी ने अपनी सैन्य विजयों के माध्यम से पड़ोसी नगर-राज्यों, जैसे लार्सा, इसिन, एश्नुन्ना और मारी को अपने अधीन किया। मारी के शिलालेखों से पता चलता है कि हम्मुराबी ने कूटनीति और सैन्य शक्ति दोनों का उपयोग करके अपने साम्राज्य का विस्तार किया। उन्होंने मारी के शासक जिमरी-लिम के साथ गठबंधन किया और बाद में उसे अधीनस्थ बना लिया। 1763 ईसा पूर्व में लार्सा के शासक रिम-सिन की हार ने बेबीलोन को दक्षिणी मेसोपोटामिया का निर्विवाद केंद्र बना दिया।
हम्मुराबी ने एक केंद्रीकृत प्रशासनिक प्रणाली स्थापित की, जिसमें साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों को एकीकृत करने के लिए नौकरशाही और स्थानीय गवर्नरों की नियुक्ति की गई। क्यूनिफॉर्म टैबलेट्स, विशेष रूप से मारी और लार्सा से प्राप्त पत्राचारों, से पता चलता है कि हम्मुराबी व्यक्तिगत रूप से प्रशासनिक मामलों की निगरानी करता था। वह गवर्नरों और अधिकारियों को नियमित निर्देश भेजता था और कर संग्रह, सैन्य भर्ती और नहरों के रखरखाव जैसे कार्यों की देखरेख करता था। इस केंद्रीकृत प्रणाली ने बेबीलोन को एक शक्तिशाली साम्राज्य के रूप में स्थापित किया, जो प्राचीन निकट पूर्व में अपने समय की सबसे प्रभावशाली शक्तियों में से एक था।
प्रशासनिक संरचना और नौकरशाही
बेबिलोनिया का प्रशासनिक संगठन अत्यंत परिष्कृत था, जिसमें एक नौकरशाही प्रणाली थी, जो साम्राज्य की एकता और स्थिरता को बनाए रखने में सहायक थी। शासक की सहायता के लिए विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों की नियुक्ति की जाती थी। प्रमुख अधिकारियों में निम्नलिखित शामिल थे:
गवर्नर (शकनक्कु): गवर्नर साम्राज्य के विभिन्न प्रांतों या नगर-राज्यों के प्रशासक थे। वे स्थानीय स्तर पर कर संग्रह, कानून-व्यवस्था, और सैन्य गतिविधियों की देखरेख करते थे। मारी और लार्सा जैसे क्षेत्रों से प्राप्त टैबलेट्स से ज्ञात होता है कि गवर्नर शासक के प्रति उत्तरदायी थे और उनके निर्णय शासक की अनुमति पर निर्भर थे। उदाहरण के लिए, हम्मुराबी ने गवर्नरों को पत्र भेजकर नहरों की मरम्मत और फसलों की सुरक्षा जैसे कार्यों के लिए निर्देश दिए थे।
सक्वाकु और हाजन्नु: सक्वाकु सैन्य और प्रशासनिक अधिकारियों का एक वर्ग था, जो शासक की ओर से स्थानीय प्रशासन और सैन्य गतिविधियों को संचालित करता था। हाजन्नु स्थानीय स्तर पर नगरों के प्रशासक थे, जो कानून-व्यवस्था और सामाजिक कल्याण के लिए जिम्मेदार थे। ये अधिकारी शासक और गवर्नरों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते थे।
दूत और मध्यस्थ: शासक और गवर्नरों के बीच संचार को बनाए रखने के लिए दूतों (मार शिपरी) की नियुक्ति की जाती थी। मारी के पत्राचार से पता चलता है कि ये दूत नियमित रूप से शासक के आदेशों को गवर्नरों तक पहुँचाते थे और स्थानीय समस्याओं की जानकारी शासक को देते थे। मध्यस्थों ने कूटनीतिक संबंधों को बनाए रखने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से पड़ोसी राज्यों, जैसे एलम और असीरिया के साथ।
हम्मुराबी ने एक व्यवस्थित नौकरशाही प्रणाली स्थापित की, जिसमें लिखित दस्तावेजों को रखने के लिए क्यूनिफॉर्म टैबलेट्स का उपयोग किया जाता था। ये दस्तावेज कर संग्रह, भूमि वितरण और सैन्य भर्ती जैसे कार्यों की जानकारी रखने के लिए महत्त्वपूर्ण थे। हम्मुराबी की विधि-संहिता में कई धाराएं प्रशासनिक नियमों को स्पष्ट करती हैं, जैसे भूमि के प्रबंधन और अधिकारियों की जिम्मेदारियों से संबंधित नियम।
कराधान और आर्थिक प्रशासन
बेबिलोनिया की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए कराधान एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा था। क्यूनिफॉर्म टैबलेट्स से पता चलता है कि करों को अनाज, पशुधन और धातुओं के रूप में एकत्र किया जाता था। हम्मुराबी की विधि-संहिता में कर संग्रह और वितरण से संबंधित नियम शामिल थे। उदाहरण के लिए, धारा 23 में उल्लेख है कि यदि कोई क्षेत्र डकैतों के कारण कर नहीं दे पाता, तो उसे कर माफी दी जा सकती थी। गवर्नरों और स्थानीय अधिकारियों को कर संग्रह की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी और वे इसे मंदिरों और शाही खजाने में जमा करते थे।
मंदिर बेबिलोनिया के आर्थिक और प्रशासनिक संगठन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा थे। मंदिर न केवल धार्मिक केंद्र थे, बल्कि वे भूमि प्रबंधन, कर संग्रह और व्यापार के केंद्र भी थे। पुरोहित वर्ग, जो मंदिरों का प्रबंधन करता था, शासक के साथ मिलकर आर्थिक नीतियों को लागू करता था। मारी और निप्पुर से प्राप्त टैबलेट्स से पता चलता है कि मंदिरों को शाही अनुदान प्राप्त होते थे, और वे स्थानीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करते थे।
सैन्य संगठन
बेबिलोनिया का सैन्य संगठन भी केंद्रीकृत था, और शासक सर्वाेच्च सैन्य सेनापति होता था। हम्मुराबी की विजयों से पता चलता है कि बेबिलोनियन सेना में पैदल सैनिक, रथ, और नौसैनिक इकाइयाँ शामिल थीं। मारी के पत्राचार से ज्ञात होता है कि हम्मुराबी ने अपनी सेना को संगठित करने के लिए स्थानीय गवर्नरों से सैनिकों की भर्ती की थी। सैन्य अभियानों के लिए रसद, जैसे भोजन और हथियार की व्यवस्था भी गवर्नरों और मंदिरों के माध्यम से की जाती थी।
हम्मुराबी की विधि-संहिता में सैन्य संगठन से संबंधित कई नियम शामिल थे। उदाहरण के लिए, धारा 26 में उल्लेख है कि यदि कोई सैनिक अपने कर्तव्यों से भागता है, तो उसे मृत्युदंड दिया जा सकता है। सैनिकों को उनकी सेवा के बदले भूमि अनुदान (इल्कु) के रूप में पुरस्कार दिया जाता था, जो प्रणाली सैन्य निष्ठा को बनाए रखने में सहायक थी।
कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध
बेबिलोनिया का राजनीतिक संगठन केवल आंतरिक प्रशासन तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध भी शामिल थे। मारी के पत्राचार से पता चलता है कि हम्मुराबी ने पड़ोसी राज्यों, जैसे एलाम, असीरिया और मारी, के साथ कूटनीतिक गठबंधन बनाए। इन गठबंधनों में विवाह संबंध, व्यापार समझौते और सैन्य सहायता शामिल थी। उदाहरण के लिए, हम्मुराबी ने मारी के शासक जिमरी-लिम के साथ गठबंधन किया, जिसने उसे लार्सा पर विजय प्राप्त करने में मदद की।
क्यूनिफॉर्म टैबलेट्स से यह भी पता चलता है कि बेबीलोन ने पड़ोसी राज्यों के साथ व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया। ये संबंध बेबीलोन को क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करने में सहायक थे। लेकिन कूटनीति के साथ-साथ युद्ध भी बेबिलोनिया की विदेश नीति का हिस्सा था, जो हम्मुराबी की सैन्य विजयों से स्पष्ट है।
हम्मुराबी के बाद का राजनीतिक संगठन
हम्मुराबी की मृत्यु के बाद बेबिलोनिया का राजनीतिक संगठन कमजोर पड़ने लगा। उनके उत्तराधिकारी, जैसे समसु-इलुना और अम्मी-सदुका कमजोर शासक सिद्ध हुए, और साम्राज्य के दक्षिणी क्षेत्र स्वतंत्र होने लगे। 1595 ईसा पूर्व में हित्ती आक्रमणकारी मुर्सिल प्रथम ने बेबीलोन पर कब्जा कर लिया, जिससे एमोराइट राजवंश का अंत हुआ। इसके बाद कासाइट शासकों ने सत्ता सँभाली, जिन्होंने हम्मुराबी की नौकरशाही प्रणाली को बनाए रखा, लेकिन उनकी सैन्य और राजनीतिक शक्ति सीमित थी। कासाइट शासक अगम द्वितीय ने प्रशासनिक सुधारों को लागू करने का प्रयास किया, लेकिन पड़ोसी राज्यों, जैसे असीरिया और एलम के साथ संघर्ष ने बेबीलोन को कमजोर कर दिया।
नव-बेबीलोनियन साम्राज्य (626-539 ईसा पूर्व) के दौरान नबोपोलस्सर और नबूकदनेस्सर द्वितीय ने केंद्रीकृत प्रशासन को पुनः स्थापित किया। नबूकदनेस्सर ने गवर्नरों और सैन्य अधिकारियों की नियुक्ति के माध्यम से साम्राज्य को एकजुट रखा। उनके शासनकाल में बेबीलोन का फिर से एक शक्तिशाली साम्राज्य के रूप में उदय हुआ, लेकिन 539 ईसा पूर्व में फारसी सम्राट साइरस द ग्रेट ने बेबीलोन पर कब्जा कर लिया, जिससे इसका स्वतंत्र राजनीतिक अस्तित्व समाप्त हो गया।
बेबिलोनिया के राजनीतिक संगठन की देन
बेबिलोनिया का राजनीतिक संगठन प्राचीन विष्व में एक मॉडल के रूप में उभरा। हम्मुराबी की नौकरशाही और विधि-संहिता ने बाद की सभ्यताओं, जैसे असीरियन, फारसी और यूनानी, को प्रभावित किया। क्यूनिफॉर्म टैबलेट्स और पुरातात्विक साक्ष्यों से स्पष्ट है कि बेबिलोनिया ने एक केंद्रीकृत और व्यवस्थित प्रशासनिक प्रणाली विकसित की, जो साम्राज्य की एकता और स्थिरता को बनाए रखने में सहायक थी। शासक का दैवीय दर्जा, गवर्नरों की भूमिका और लिखित दस्तावेजों की प्रणाली ने बेबिलोनिया को प्राचीन विष्व की सबसे परिष्कृत सभ्यताओं में से एक बना दिया। इसकी राजनीतिक विरासत ने प्राचीन निकट पूर्व की शासन प्रणालियों पर गहरा प्रभाव डाला और बाद की सभ्यताओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी।