परांतक चोल द्वितीय (Parantaka Chola II, 957-973 AD)
परांतक चोल द्वितीय या सुंदरचोल (957-973 ई.) अरिंजय की मृत्यु (957 ई.) के बाद अन्विल ताम्रपत्र में उल्लिखित उसकी रानी वैदुम्ब राजकुमारी कल्याणी…
परांतक चोल द्वितीय या सुंदरचोल (957-973 ई.) अरिंजय की मृत्यु (957 ई.) के बाद अन्विल ताम्रपत्र में उल्लिखित उसकी रानी वैदुम्ब राजकुमारी कल्याणी…
कुलोत्तुंग चोल प्रथम (1070-1122 ई.) कुलोत्तुग (कुलोथुंग) प्रथम के सिंहासनारोहण से चोल इतिहास में एक नये युग का सूत्रपात हुआ। कलिंगत्तुप्परणि में कहा…
वीरराजेंद्र ( (1063-1070 ई.) राजेंद्र द्वितीय की मृत्यु के बाद उसका अनुज वीरराजेंद्र 1063 ई. के लगभग चोल राजपीठ पर आसीन हुआ। यद्यपि…
राजाधिराज चोल प्रथम (1044-1054 ई.) राजेंद्रचोल प्रथम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र राजाधिराज राजकेशरी 1044 ई. में चोल राजगद्दी पर बैठा। किंतु…
राजेंद्रचोल प्रथम (1014-1044 ई.) राजराज की मृत्यु के बाद उसकी कोडुंबलुर की राजकुमारी थिरिपुवना (त्रिभुवन) महादेवी से उत्पन्न पुत्र राजेंद्रचोल प्रथम 1014 ई….
राजराज चोल प्रथम (985-1014 ई.) चोल राजवंश की महत्ता का वास्तविक संस्थापक परांतक द्वितीय (सुंदर चोल) की वानवन महादेवी से उत्पन्न पुत्र राजकेशरी…
परांतक चोल प्रथम (907- 955 ई.) आदित्य प्रथम की मृत्यु के अनंतर 907 ई. में इसका पुत्र परांतक चोल प्रथम चोल राजसिंहासन का…
संगम युग में चोल राज्य सुदूर दक्षिण भारत के तमिल प्रदेश में प्राचीनकाल में जिन राजवंशों का उत्कर्ष हुआ, उनमें चोलों का विशिष्ट…
पल्लव राजवंश आंध्र-सातवाहनों के पतन के बाद दक्षिण में उदित होने वाले राजवंशों में पल्लवों का विशिष्ट स्थान है, जिन्होंने कृष्णा और गोदावरी…