अशोक के शासन-संगठन का प्रारूप लगभग वही था, जो चंद्रगुप्त मौर्य के समय में था। किंतु धम्मप्रिय अशोक ने कलिंग-विजय
Category: प्राचीन इतिहास
मौर्य सम्राट अशोक महान् (Mauryan Emperor Asoka the Great)
अशोक महान् की गणना प्राचीन विश्व के महानतम् शासकों में की जाती है। उसके समय में मौर्य साम्राज्य उत्तर में
चंद्रगुप्त मौर्य की शासन-व्यवस्था (Chandragupta Maurya’s Administration)
चंद्रगुप्त मौर्य महान् विजेता और साम्राज्य-निर्माता ही नहीं, अपितु योग्य प्रशासक भी था। उसने अपने मंत्री कौटिल्य की सहायता से
मौर्य सम्राट बिंदुसार (Mauryan Emperor Bindusara, BC 298- BC 273)
चंद्रगुप्त की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र बिंदुसार ई.पू. 298 में मगध का शासक हुआ। मौर्य राजवंश के इस द्वितीय
भारत पर ईरानी और यूनानी आक्रमण ( Iranian and Greek Invasions of India)
जिस समय मगध के नेतृत्व में पूर्वी भारत में एकीकरण की प्रक्रिया चल रही थी, लगभग उसी समय पश्चिमोत्तर भारत
मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य (Maurya Emperor Chandragupta Maurya)
चंद्रगुप्त मौर्य के आगमन से भारतीय इतिहास में एक नये युग का सूत्रपात हुआ और मौर्य वंश की स्थापना हुई।
जैन परंपरा में लोक और ईश्वर (Folk and God in Jain Tradition)
विश्व, जगत् अथवा संसार के लिए जैन परंपरा में सामान्यरूप से ‘लोक’ शब्द का व्यवहार हुआ है। जैन साहित्य में
जैन दर्शन में ज्ञान मीमांसा (Epistemology in Jain Philosophy)
व्यवहार की दृष्टि से ज्ञान का अर्थ जानना, समझना या परिचित होना होता है। प्रत्येक प्राणी अपने इंद्रियों के द्वारा
जैन आचार-मीमांसा (Jain Ethics)
जैन परंपरा में आचार के स्तर पर श्रावक और श्रमण-ये दो श्रेणियाँ हैं। आध्यात्मिक विकास की पूर्णता हेतु श्रावक या