अठारहवीं शताब्दी में यूरोप में एक नवीन बौद्धिक लहर चली, जिसके फलस्वरूप जागृति के एक नये युग का सूत्रपात हुआ।
Continue readingAuthor: Dr. Jai Prakash
1773 का रेग्युलेटिंग एक्ट एवं 1781 का संशोधित अधिनियम (Regulating Act of 1773 and Amended Act of 1781)
भारत में संवैधानिक विकास किसी भी शासन प्रणाली का यह प्रमुख कार्य होता है कि वह उसके शासकों के उद्देश्यों
Continue readingटीपू सुल्तान और आंग्ल-मैसूर युद्ध (Tipu Sultan and the Anglo-Mysore Wars)
18वीं शताब्दी के अंतिम चरण में दूसरे आंग्ल-मैसूर युद्ध के दौरान हैदरअली मृत्यु और टीपू सुल्तान का राज्याभिषेक मैसूर की
Continue readingहैदरअली और आंग्ल-मैसूर संबंध (Hyder Ali and Anglo-Mysore Relations)
हैदरअली और आंग्ल-मैसूर संबंध दक्षिण भारत में हैदराबाद के पास हैदरअली के अधीन मैसूर में एक महत्त्वपूर्ण सत्ता का उदय
Continue reading1919 का भारत सरकार अधिनियम (मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार) Government of India Act of 1919 (Montague-Chelmsford Reforms)
भारत सरकार अधिनियम 1909 भारतीयों के स्वशासन की माँग की पूर्ण करने में असमर्थ रहा था। 1905 के बाद भारत
Continue reading1909 का भारतीय परिषद् अधिनियम : मार्ले-मिंटो सुधार (Indian Council Act of 1909 : Marley-Minto Reform)
1892 के भारतीय परिषद् अधिनियम के सत्तरह वर्ष बाद एक और अधिनियम पारित किया गया, जिसे ‘1909 का भारतीय परिषद्
Continue readingभारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की भूमिका (Role of Women in Indian National Movement)
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की प्रकृति मूलतः पुरुष प्रधान थी और संभवतः यही कारण है कि राष्ट्रीय आंदोलन पर लिखी गई
Continue readingब्रिटिश भारत में दलित-आंदोलन (Dalit Movement in British India)
उन्नीसवीं सदी के अंतिम और बीसवीं सदी के आरंभिक वर्षों में ही भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दलितों की बेहतरी
Continue readingधन-निकास का सिद्धांत (Theory of the Drain of Wealth)
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के आरंभिक उदारपंथी नेताओं को इस बात का श्रेय प्राप्त है कि उन्होंने उन्नीसवीं सदी के अपने
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