18वीं सदी में जब मुगल सत्ता क्षीण हो रही थी, अंग्रेजों और फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी में हुए संघर्ष के
Continue readingAuthor: Dr. Jai Prakash
भारत में मजदूर आंदोलन और श्रमिक-संघों का विकास (Labor Movement and Development of Trade Unions in India)
उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जब आधुनिक उद्योग धीरे-धीरे शुरू हो रहा था और रेलवे, पोस्ट आफिस, कोयला खनन, चाय
Continue readingअठारहवीं शताब्दी में भारत (India in the Eighteenth Century)
अभी हाल तक भारतीय इतिहास में अठारहवीं सदी को एक ‘अंधकार युग’ के रूप चित्रित किया जाता रहा था क्योंकि
Continue readingबंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियाँ : सूर्यसेन और चटगाँव विद्रोह समूह (Revolutionary Activities in Bengal: Surya Sen and the Chittagong Revolt Group)
बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियाँ बीसवीं सदी के तीसरे दशक में बंगाल में कांग्रेसी नेतृत्व दो गुटों में बँट गया- जिसमें
Continue readingक्रांतिकारी आंदोलन का पुनरोदय : एच.आर.ए., एच.एस.आर.ए. और भगतसिंह (Revival of the revolutionary movement: HRA, HSRA and Bhagat Singh)
क्रांतिकारी आंदोलन के पुनरोदय की पृष्ठभूमि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान क्रांतिकारी आंदोलनकारियों को बुरी तरह कुचल दिया गया। अनेक नेता
Continue readingभारत में सांप्रदायिकता के उदय के कारण (Causes of Rise of Communalism in India)
सांप्रदायिकता का अर्थ ‘सांप्रदायिकता’ से तात्पर्य उस संकीर्ण मनोवृति से है, जो धर्म और संप्रदाय के नाम पर पूरे समाज
Continue reading1857 के बाद आदिवासी विद्रोह (Tribal Rebellion After 1857)
आदिवासी विद्रोह का आरंभ अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना के साथ शुरू हो गया था। ‘आदिवासी’ शब्द को जनजातीय, मूलनिवासी, अनुसूचित
Continue readingभारत में वामपंथ का उदय और विकास (The Rise and Development of the Left in India)
वामपंथी राजनीति उस पक्ष या विचारधारा को कहते हैं जो समाज को बदलकर उसमें अधिक आर्थिक बराबरी लाना चाहते हैं।
Continue readingस्वराज पार्टी (Swaraj Party)
फरवरी 1922 में असहयोग आंदोलन की वापसी बाद कांग्रेस जन-आंदोलन का एक और दौर शुरू करने की स्थिति में नहीं
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