
मौर्यकालीन सामाजिक जीवन पूर्ववर्ती धर्मशास्त्रों की भाँति कौटिल्य ने भी वर्णाश्रम व्यवस्था को सामाजिक संगठन का आधार माना है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में समाज के …
मौर्यकालीन सामाजिक जीवन पूर्ववर्ती धर्मशास्त्रों की भाँति कौटिल्य ने भी वर्णाश्रम व्यवस्था को सामाजिक संगठन का आधार माना है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में समाज के …
मौर्यकालीन अर्थव्यवस्था, समाज, धर्म और कला-संबंधी जानकारी के लिए कौटिल्य का अर्थशास्त्र, मेगस्थनीजकृत इंडिका के अवशिष्ट अंश तथा अशोक के अभिलेख महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं, जो …
नेपोलियन बोनापार्ट ने अपने विजय अभियान से समस्त यूरोपीय मानचित्र को परिवर्तित कर दिया था। उसकी पराजय के बाद यूरोप में कई तरह के तनावों …
उत्तरकालीन मुगल सम्राट औरंगजेब की मृत्यु के बाद जिन ग्यारह मुगल सम्राटों ने भारत पर शासन किया, उन्हें ‘उत्तकालीन मुगल सम्राट’ कहा जाता है। मुगल …
सामाजिक सुधार उन्नीसवीं सदी के सांस्कृतिक जागरण का प्रमुख प्रभाव सामाजिक सुधार के क्षेत्र में देखने को मिला। इसका कारण यह था कि भारतीय समाज …
मुस्लिम सुधार आंदोलन उन्नीसवीं शताब्दी में न केवल हिंदू समाज में जागरण लाने के लिए सुधार आंदोलन प्रारंभ हुए, बल्कि मुस्लिम समाज में भी सुधार …
दयानंद सरस्वती (1824-1883) आधुनिक भारत के चिंतक और आर्य समाज’ के संस्थापक थे। उन्होंने वेदों के प्रचार के लिए मुंबई में आर्यसमाज की स्थापना की। …
पश्चिमी भारत में सुधार आंदोलन पश्चिमी भारत में सुधारों की शुरूआत उन्नीसवीं सदी के आरंभिक वर्षों में दो अलग-अलग तरीकों से हुई। एक तरीका तो …